Sunday, July 25, 2010
some of my images..
http://smilebox.com/playEmail/4f4451344e7a6b304d6e77784f4445314d6a63334e413d3d0d0a&sb=1
some of my images..
http://smilebox.com/playEmail/4f4451344e7a6b304d6e77784f4445314d6a63334e413d3d0d0a&sb=1
Thursday, July 22, 2010
hii todays thought
ARE YOU SHY?
जब भी तुम किसी से बात करते हो, तो क्या तुम्हारा कॉन्फिडेंस लेवॅल डाउन रहता है?
क्या तुम्हारी आवाज में दम नहीं होता? क्या तुम्हें मुस्कुराने में भी हिचक होती है? क्या तुम बार-बार अपने बालों या चेहरे को छूते रहते हो और खुद को अपने पैरेन्ट्स या फिर किसी अन्य चीजों के पीछे छिपाने की कोशिश करते रहते हो? अगर इन प्रश्नों का उत्तर हां है, तो यह मान लो कि तुम भी शर्मीले स्वभाव के हो। तुम्हारा यह सवाल हो सकता है कि क्या शर्मीला स्वभाव होना गलत बात है? आओ जानते हैं इस बारे में विशेषज्ञों की राय क्या है?
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में शर्मीलेपन को लेकर एक अध्ययन किया गया, जिसमें जेनेटिक व एनवॉरनमेंटल फैक्टर्स यानी कि आनुवंशिकता व माहौल को बहुत हद तक जिम्मेदार माना गया। रिसर्च के बाद पता चला कि अधिकांश शर्मीले बच्चे सामाजिक दायरे से दूर होते जाते हैं, जिसके चलते व्यक्तिगत जीवन में भी उन्हें कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। खासतौर पर आपातकालीन परिस्थिति में ऐसे बच्चों के न सिर्फ दिलों की धडकनें असामान्य रूप से तेज गति से चलने लगती हैं, बल्कि पैर भी थरथराने लगते हैं। कुल मिलाकर, यह पाया गया कि ऐसे बच्चों के अंदर संघर्ष करने की क्षमता कम हो जाती है।
साइंस जर्नल का शोध
एक अन्य शोध की बात करें, तो नतीजा कुछ अलग ही निकलता है। साइंस जर्नल के एक अध्ययन के मुताबिक कोई भी बच्चा जन्म से शर्मीला नहीं होता। जीवन के अच्छे-बुरे अनुभव उन्हें शर्मीला बनने पर मजबूर कर देता है। शर्मीलेपन की बॉयॅलॉजि पर रिसर्च करने वाले डॉ. अमान्डा गॉयर का मानना है कि ब्रेन का हिस्सा (striatum), जो कि चिंता व खुशी के लिए जिम्मेदार होता है, शर्मीले स्वभाव के बच्चों में कुछ ज्यादा संवेदनशील होता है। डॉ. गॉयर के मुताबिक, शर्मीले स्वभाव के बच्चे बेशक कुछ कम बोलने वाले, बातचीत में कमजोर या फिर डरपोक किस्म के हों, मगर एक अच्छे लिसॅनर जरूर होते हैं। चाहे वे किसी भी बात पर रिएक्ट करें या न करें मगर रिस्पॉन्स जरूर देते हैं। हां, ऐसे बच्चों के इर्द-गिर्द रहने वाले लोग जरूर उनकी छवि को गलत ढंग से पेश कर उनका आत्मविश्वास छीनने की कोशिश करते हैं।
दरअसल, बच्चों का स्वभाव परिवेश के मुताबिक बदलता रहता है। ऐसे बच्चे, जिन्हें हम शुरू में शर्मीला कह कर नकारते रहते हैं, जब जिंदगी में सफल हो जाते हैं, तो फिर सबसे बडे कॉन्फिडेंस के साथ मिलते हैं। फिर तो वे सभी से आंख से आंख मिला कर बातें करते हैं, चेहरे पर गंभीरता तो होती है, मुस्कुराहट से आत्मविश्वास भी झलकता है।
मनोवैज्ञानिक डॉ. सोना कौशल भारती की राय
सबसे पहले तो हमें यह समझना चाहिए कि शर्मीलापन या शायनेस आखिर है क्या? इसके बाद यह भी देखना होगा कि शर्मीलापन बच्चों के लिए अच्छा है या बुरा? और अंत में यह भी जानना जरूरी होगा कि वैसे बच्चे, जो शर्मीले हैं, किस तरह अपने स्वभाव में बदलाव लाएं?
दरअसल, दो तरह के बच्चे होते हैं - एक्स्ट्रोवर्ट या बहिर्मुखी और इन्ट्रोवर्ट या अंतर्मुखी। जो बच्चे अंतर्मुखी स्वभाव के होते हैं, उनमें शायनेस या शर्मीलेपन का खतरा ज्यादा होता है। हालांकि, मुख्य रूप से दो बातें इसके लिए जिम्मेदार होती हैं - एक तो जेनेटिक फैक्टर्स और दूसरा परिवेश या पारिवारिक माहौल। कोई बच्चा शर्मीला होगा या बोल्ड, यह बहुत हद तक उस माहौल पर निर्भर करता है, जिसमें वह पला-बढा है। अगर किसी बच्चे को बात-बात में डांट पडती है, तो उसका कॉन्फिडेंस लेवॅल डाउन हो जाता है और उसमें हीन-भावना आ जाती है। यहीं से शुरू होता है शर्माने का सिलसिला। फिर चाहे स्कूल हो या घर, ऐसे बच्चों को अपनी बात रखने में डर लगने लगता है। कई बार प्रश्नों का हल जानते हुए भी ये बता नहीं पाते और दूसरों से पीछे होते जाते हैं। अब सवाल उठता है कि ऐसे बच्चे आखिर क्या करें? यहां एक बात जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि बच्चों को अपनी नैचुरेलिटी या यूं कहें कि अपने मूल स्वभाव का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। जैसे, मान लीजिए कि कुछ बच्चे अंग्रेजी में अच्छी तरह बात कर लेते हैं, तो वैसे बच्चे जिनका माध्यम हिंदी है, उन्हें इनकी जबरदस्ती नकल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
यदि वे अंग्रेजी बोलना सीख लेते हैं, तो यह अच्छी बात है, मगर यदि वे सहजता से अंग्रेजी में नहीं बोल पाते, तो कोई बात नहीं। उन्हें अपने मूल स्वभाव से अलग हट कर जबरदस्ती अंग्रेजी बोलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। कुल मिलाकर, आप जो भी हैं, जैसे भी हैं, अच्छे हैं- इस बात को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।
जब भी तुम किसी से बात करते हो, तो क्या तुम्हारा कॉन्फिडेंस लेवॅल डाउन रहता है?
क्या तुम्हारी आवाज में दम नहीं होता? क्या तुम्हें मुस्कुराने में भी हिचक होती है? क्या तुम बार-बार अपने बालों या चेहरे को छूते रहते हो और खुद को अपने पैरेन्ट्स या फिर किसी अन्य चीजों के पीछे छिपाने की कोशिश करते रहते हो? अगर इन प्रश्नों का उत्तर हां है, तो यह मान लो कि तुम भी शर्मीले स्वभाव के हो। तुम्हारा यह सवाल हो सकता है कि क्या शर्मीला स्वभाव होना गलत बात है? आओ जानते हैं इस बारे में विशेषज्ञों की राय क्या है?
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में शर्मीलेपन को लेकर एक अध्ययन किया गया, जिसमें जेनेटिक व एनवॉरनमेंटल फैक्टर्स यानी कि आनुवंशिकता व माहौल को बहुत हद तक जिम्मेदार माना गया। रिसर्च के बाद पता चला कि अधिकांश शर्मीले बच्चे सामाजिक दायरे से दूर होते जाते हैं, जिसके चलते व्यक्तिगत जीवन में भी उन्हें कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। खासतौर पर आपातकालीन परिस्थिति में ऐसे बच्चों के न सिर्फ दिलों की धडकनें असामान्य रूप से तेज गति से चलने लगती हैं, बल्कि पैर भी थरथराने लगते हैं। कुल मिलाकर, यह पाया गया कि ऐसे बच्चों के अंदर संघर्ष करने की क्षमता कम हो जाती है।
साइंस जर्नल का शोध
एक अन्य शोध की बात करें, तो नतीजा कुछ अलग ही निकलता है। साइंस जर्नल के एक अध्ययन के मुताबिक कोई भी बच्चा जन्म से शर्मीला नहीं होता। जीवन के अच्छे-बुरे अनुभव उन्हें शर्मीला बनने पर मजबूर कर देता है। शर्मीलेपन की बॉयॅलॉजि पर रिसर्च करने वाले डॉ. अमान्डा गॉयर का मानना है कि ब्रेन का हिस्सा (striatum), जो कि चिंता व खुशी के लिए जिम्मेदार होता है, शर्मीले स्वभाव के बच्चों में कुछ ज्यादा संवेदनशील होता है। डॉ. गॉयर के मुताबिक, शर्मीले स्वभाव के बच्चे बेशक कुछ कम बोलने वाले, बातचीत में कमजोर या फिर डरपोक किस्म के हों, मगर एक अच्छे लिसॅनर जरूर होते हैं। चाहे वे किसी भी बात पर रिएक्ट करें या न करें मगर रिस्पॉन्स जरूर देते हैं। हां, ऐसे बच्चों के इर्द-गिर्द रहने वाले लोग जरूर उनकी छवि को गलत ढंग से पेश कर उनका आत्मविश्वास छीनने की कोशिश करते हैं।
दरअसल, बच्चों का स्वभाव परिवेश के मुताबिक बदलता रहता है। ऐसे बच्चे, जिन्हें हम शुरू में शर्मीला कह कर नकारते रहते हैं, जब जिंदगी में सफल हो जाते हैं, तो फिर सबसे बडे कॉन्फिडेंस के साथ मिलते हैं। फिर तो वे सभी से आंख से आंख मिला कर बातें करते हैं, चेहरे पर गंभीरता तो होती है, मुस्कुराहट से आत्मविश्वास भी झलकता है।
मनोवैज्ञानिक डॉ. सोना कौशल भारती की राय
सबसे पहले तो हमें यह समझना चाहिए कि शर्मीलापन या शायनेस आखिर है क्या? इसके बाद यह भी देखना होगा कि शर्मीलापन बच्चों के लिए अच्छा है या बुरा? और अंत में यह भी जानना जरूरी होगा कि वैसे बच्चे, जो शर्मीले हैं, किस तरह अपने स्वभाव में बदलाव लाएं?
दरअसल, दो तरह के बच्चे होते हैं - एक्स्ट्रोवर्ट या बहिर्मुखी और इन्ट्रोवर्ट या अंतर्मुखी। जो बच्चे अंतर्मुखी स्वभाव के होते हैं, उनमें शायनेस या शर्मीलेपन का खतरा ज्यादा होता है। हालांकि, मुख्य रूप से दो बातें इसके लिए जिम्मेदार होती हैं - एक तो जेनेटिक फैक्टर्स और दूसरा परिवेश या पारिवारिक माहौल। कोई बच्चा शर्मीला होगा या बोल्ड, यह बहुत हद तक उस माहौल पर निर्भर करता है, जिसमें वह पला-बढा है। अगर किसी बच्चे को बात-बात में डांट पडती है, तो उसका कॉन्फिडेंस लेवॅल डाउन हो जाता है और उसमें हीन-भावना आ जाती है। यहीं से शुरू होता है शर्माने का सिलसिला। फिर चाहे स्कूल हो या घर, ऐसे बच्चों को अपनी बात रखने में डर लगने लगता है। कई बार प्रश्नों का हल जानते हुए भी ये बता नहीं पाते और दूसरों से पीछे होते जाते हैं। अब सवाल उठता है कि ऐसे बच्चे आखिर क्या करें? यहां एक बात जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि बच्चों को अपनी नैचुरेलिटी या यूं कहें कि अपने मूल स्वभाव का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। जैसे, मान लीजिए कि कुछ बच्चे अंग्रेजी में अच्छी तरह बात कर लेते हैं, तो वैसे बच्चे जिनका माध्यम हिंदी है, उन्हें इनकी जबरदस्ती नकल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
यदि वे अंग्रेजी बोलना सीख लेते हैं, तो यह अच्छी बात है, मगर यदि वे सहजता से अंग्रेजी में नहीं बोल पाते, तो कोई बात नहीं। उन्हें अपने मूल स्वभाव से अलग हट कर जबरदस्ती अंग्रेजी बोलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। कुल मिलाकर, आप जो भी हैं, जैसे भी हैं, अच्छे हैं- इस बात को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।
Tuesday, July 20, 2010
Abut octopus
दोस्तो , ऑक्टोपस एक इंटेलिजेंट जीव होता है। रीढविहीन प्राणियों में सबसे अधिक बुद्धिमान। परिस्थितियों के अनुसार, खुद को ढाल लेने वाला। रंग बदलने और तेज भागने में माहिर होता है ऑक्टोपस। वह चीजों को लंबे समय तक याद रख सकता है। इन दिनों इसे पालने के बारे में बातें हो रही हैं, लेकिन यह हर किसी के बूते की बात नहीं, क्योंकि यह जीव पानी में छिप कर चकमा देने में माहिर है। केवल ऑक्टोपस ही नहीं, दुनिया में ऐसे कई जीव हैं, जो बेहद इंटेलिजेंट होते हैं और शातिर भी।
जंपिंग स्पाइडर : शातिर शिकारी
इसका पूरा नाम है पॉर्शिया लेबियाटा जंपिंग स्पाइडर। यह पॉर्शिया ग्रुप का प्राणी है और ऑस्ट्रेलिया, एशिया और अफ्रीका के जंगलों में पाया जाता है। किसी नई चीज को तुरंत सीखने के मामले में यह दुनिया का सबसे अधिक स्मार्ट जीव है। अपनी किसी समस्या का हल वह तेजी से निकाल सकता है। शिकार सामने हो, तो उसे बेहद सहजता से पकडता है। दरअसल, योजना बनाता है और उसी के अनुसार कार्य करता है। वह शिकार पकडने के लिए एक खास तरह का साउंड भी क्रिएट करता है।
अफ्रीकन गे्र पैरट : गुणों की खान
तोते तो होते ही हैं नकलची, लेकिन अफ्रीका में पाया जाने वाला यह तोता शब्दों के अर्थ भी समझ सकता है और उससे छोटे वाक्य भी बना सकता है! वह गाना और बॉडी लैंग्वेज के माध्यम से कम्यूनिकेट कर सकता है, बिल्कुल हमारी-तुम्हारी तरह। यह आकार और रंगों को पहचान सकता है। इतना ही नहीं, इसे समान और अलग चीजों का कॉन्सेप्ट भी पता होता है। इसे आसानी से वेल-ट्रेंड किया जा सकता है। अफ्रीकन ग्रे पैरट को प्राचीन ग्रीक, समृद्ध रोमन परिवारों और किंग हेनरी-7 द्वारा पाले जाने के प्रमाण मिले हैं।
रिंग-टेल्ड लीमर : मैथ्स मास्टर
शरीर से भी बडी पूंछ वाले इस प्राणी की रीजनिंग काफी अच्छी होती है। बिल्कुल लॉजिकल जीव। हां, मैथ्स में मास्टर होता है यह जीव। कैसे? दरअसल, प्रयोगों से साबित हो चुका है कि रिंग टेल्ड लीमर किसी भी चीज को सीक्वेंस में रख सकता है। एक ट्रेंड लीमर कम्प्यूटर स्क्रीन पर बिखरे हुए आंकडों को रिपीट कर सकता है।
पिग्स : प्रिटी स्मार्ट
देखने में भले ही पिग्स तुम्हें लेजी लगें, पर ऐसा है नहीं। वास्तव में, पिग्स होते हैं प्यारे और स्मार्ट जीव। ट्रेंड करने पर वे वीडियो गेम भी खेल सकते हैं! जटिल नहीं, सिंपल वीडियोगेम। वह सपने भी देखता है और अपना नाम भी पहचान सकता है। म्यूजिक से काफी लगाव होता है इस इंटेलिजेंट जानवर को, तभी तो वह अपने नवजात बच्चे को गाना गाकर सुला सकता है!
बॉर्डर कूली : हार्ड वर्कर
स्कॉटलैंड मूल का यह कुत्ता, कुत्तों की सभी प्रजातियों में सबसे अधिक बुद्धिमान है। यह पांच मनुष्यों के बराबर का काम अकेले हैंडल कर सकता है। इसलिए इसका इस्तेमाल सिक्यूरिटी डिपार्टमेंट से लेकर एग्रीकल्चर में भी खूब होता है। हाई जंप में माहिर, बॉल खेलने में निपुण और डांस कॉम्पिटिशन में यदि ट्रेंड करके भेजा जाए, तो फर्स्ट प्राइज विनर बनता है। यह इतना तेजतर्रार है कि तुम्हारे रूटीन को फॉलो कर सकता है। यह भांप सकता है कि तुम्हारी पर्सनैल्टी कैसी है और आगे क्या होना वाला है?
फैक्ट फटाफट
द्वडॉल्फिन ग्रामर और सिंटेक्स को समझ सकती है।
द्वरेसस मंकी की मेमोरी काफी अच्छी होती है। वह खुद के बारे में निर्णय भी ले सकता है।
द्वकूकू बर्ड बेहद शातिर होती है। फीमेल कूकू बर्ड रहस्यमय रूप से अंडे पैदा करती है।
द्ववेस्टर्न स्क्रब जे नामक चिडिया को अतीत याद होता है और वह बना सकती है भविष्य की योजना भी।
Roshan jha
जंपिंग स्पाइडर : शातिर शिकारी
इसका पूरा नाम है पॉर्शिया लेबियाटा जंपिंग स्पाइडर। यह पॉर्शिया ग्रुप का प्राणी है और ऑस्ट्रेलिया, एशिया और अफ्रीका के जंगलों में पाया जाता है। किसी नई चीज को तुरंत सीखने के मामले में यह दुनिया का सबसे अधिक स्मार्ट जीव है। अपनी किसी समस्या का हल वह तेजी से निकाल सकता है। शिकार सामने हो, तो उसे बेहद सहजता से पकडता है। दरअसल, योजना बनाता है और उसी के अनुसार कार्य करता है। वह शिकार पकडने के लिए एक खास तरह का साउंड भी क्रिएट करता है।
अफ्रीकन गे्र पैरट : गुणों की खान
तोते तो होते ही हैं नकलची, लेकिन अफ्रीका में पाया जाने वाला यह तोता शब्दों के अर्थ भी समझ सकता है और उससे छोटे वाक्य भी बना सकता है! वह गाना और बॉडी लैंग्वेज के माध्यम से कम्यूनिकेट कर सकता है, बिल्कुल हमारी-तुम्हारी तरह। यह आकार और रंगों को पहचान सकता है। इतना ही नहीं, इसे समान और अलग चीजों का कॉन्सेप्ट भी पता होता है। इसे आसानी से वेल-ट्रेंड किया जा सकता है। अफ्रीकन ग्रे पैरट को प्राचीन ग्रीक, समृद्ध रोमन परिवारों और किंग हेनरी-7 द्वारा पाले जाने के प्रमाण मिले हैं।
रिंग-टेल्ड लीमर : मैथ्स मास्टर
शरीर से भी बडी पूंछ वाले इस प्राणी की रीजनिंग काफी अच्छी होती है। बिल्कुल लॉजिकल जीव। हां, मैथ्स में मास्टर होता है यह जीव। कैसे? दरअसल, प्रयोगों से साबित हो चुका है कि रिंग टेल्ड लीमर किसी भी चीज को सीक्वेंस में रख सकता है। एक ट्रेंड लीमर कम्प्यूटर स्क्रीन पर बिखरे हुए आंकडों को रिपीट कर सकता है।
पिग्स : प्रिटी स्मार्ट
देखने में भले ही पिग्स तुम्हें लेजी लगें, पर ऐसा है नहीं। वास्तव में, पिग्स होते हैं प्यारे और स्मार्ट जीव। ट्रेंड करने पर वे वीडियो गेम भी खेल सकते हैं! जटिल नहीं, सिंपल वीडियोगेम। वह सपने भी देखता है और अपना नाम भी पहचान सकता है। म्यूजिक से काफी लगाव होता है इस इंटेलिजेंट जानवर को, तभी तो वह अपने नवजात बच्चे को गाना गाकर सुला सकता है!
बॉर्डर कूली : हार्ड वर्कर
स्कॉटलैंड मूल का यह कुत्ता, कुत्तों की सभी प्रजातियों में सबसे अधिक बुद्धिमान है। यह पांच मनुष्यों के बराबर का काम अकेले हैंडल कर सकता है। इसलिए इसका इस्तेमाल सिक्यूरिटी डिपार्टमेंट से लेकर एग्रीकल्चर में भी खूब होता है। हाई जंप में माहिर, बॉल खेलने में निपुण और डांस कॉम्पिटिशन में यदि ट्रेंड करके भेजा जाए, तो फर्स्ट प्राइज विनर बनता है। यह इतना तेजतर्रार है कि तुम्हारे रूटीन को फॉलो कर सकता है। यह भांप सकता है कि तुम्हारी पर्सनैल्टी कैसी है और आगे क्या होना वाला है?
फैक्ट फटाफट
द्वडॉल्फिन ग्रामर और सिंटेक्स को समझ सकती है।
द्वरेसस मंकी की मेमोरी काफी अच्छी होती है। वह खुद के बारे में निर्णय भी ले सकता है।
द्वकूकू बर्ड बेहद शातिर होती है। फीमेल कूकू बर्ड रहस्यमय रूप से अंडे पैदा करती है।
द्ववेस्टर्न स्क्रब जे नामक चिडिया को अतीत याद होता है और वह बना सकती है भविष्य की योजना भी।
Roshan jha
Saturday, July 17, 2010
ajj ke dost
Har khushi hai logo ke Daman me,Par ek hansi ke liye waqt nahi.Din raat daudti duniya mein,Jindagi ke liye hi waqt nahi. !1!Maa ki loree ka ehsaas to hai,par maa ko maa kehne ka waqt nahi.Sare rishton ko to hum maar chuke,ab unhe dafnane ka bhi waqt nahi. !2!Sare naam mobile me hain,par dosti ke liye waqt nahi.Gairon ki kya baat kahen,jab apano ke liye hi waqt nahi. !3!Aankhon me hai neend badee,par sone ko waqt nahi.Dil hai gamo se bhara hua,par rone ko bhi waqt nahi. !4!Paison ki daud me aise daude,ki thakane ko bhi waqt nahi.Paraye ehsason ki kya kadr karein,
today's thought
When you love someone, it's something. When someone loves you, it's another thing. When you love the person who loves you back, it's everything.
Subscribe to:
Posts (Atom)